
उपखंड स्तरीय जनसुनवाई में कलेक्टर को परिवादी ने सरमथुरा मे हॉस्पिटल को जमीन आवंटन में घोटले को लेकर किया परिवाद प्रस्तुत
अधिकारी कर्मचारियों पर हो मुकदमा दर्ज: परिवादी डा मुकेश राम मीना एडवोकेट
सरमथुरा धौलपुर
08 fab 2024
सरमथुरा एसएसडीएम कार्यालय में जिला कलेक्टर की जन सुनवाई में डॉ मुकेश राम मीणा एडवोकेट ने आरोप लगाया है कि खसरा नंबर 3058/3019 रकवा1.70 हेक्टर जो की गांव नकटपुरा आदिवासी लोगों लगभग 100 साल पुरानी आवासीय मकान बना कर रह रहे हैं जिनके तत्कालीन जिला कलेक्टर महोदय की अनुमोदन से सन 1974 में पट्टे आवंटन हुए थे लेकिन तहसील सरमथुरा के कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा कूट रचना द्वारा उक्त खसरा नंबर 3058/3019 अस्पताल के लिए आवंटन किया गया है। शिकायतकर्ता ने मांग की है के उक्त आवंटन को निरस्त कराकर कूट रचना करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराकर उचित कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए। उनके द्वारा दूसरे प्रार्थना पत्र में जिला कलेक्टर से विनती की है के खसरा नं. 2953/1546 से अवैध कब्जा हटाया जाए। इस प्रकरण में बताया गया है कि खसरा नंबर 2953/1546 जो कि RAC पुलिस लाईन के लिए अलॉटमेंट है जिस पर कुछ लोगों के द्वारा अवैध कब्जा कर कंस्ट्रक्शन कराया जा रहा है और कलेक्टर महोदय से निवेदन किया कि उक्त खसरा नंबर 2953/1546 का सीमांकन कराकर कब्जा मुक्त करा कर अवैध कंस्ट्रक्शन रुकवाने की कृपा करें और कब्जा करने वालों पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।
इस प्रकरण में डॉ मुकेश मीणा ने 1974 के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा अनुसूचित जन जाती के ग्रामीण जनो के लिए जारी किए गए 5 पट्टों की प्रतिलिपि संलग्न की है जो अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए आवंटित किए थे।
सरमथुरा में ऐसे तमाम केस देखने को मिलते हैं कि आवंटित जगह के वजाय अन्य जगह पर लोगों ने कब्जा कर रखा है और सरकारी कार्यालय में ऐसे लोग काम कर रहे हैं जो रिकॉर्ड को मेंटेन नहीं करते है जो राजनीतिक दबाव में ऐसे काम करते प्रतीत होते हैं।
पहले से एक प्रकरण यह भी चल रहा है कि वर्तमान में तहसील और एसडीएम कार्यालय वन भूमि पर काबिज है जबकि उनके लिए एलॉटेड जमीन अन्य स्थान पर है। तहसील कार्यालय की जमीन वन भूमि बताई जाती है जहां पर आज हरियाली होनी चाहिए थी लेकिन सरकारी ऑफिस अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं। यह प्रकरण पहले से ही जांच के दायरे में है और अधिकारी असमंजस में है। गौर करने का विषय है कि जिनका काम प्रशासन चलना है और लोगों को न्याय देना है ऐसे ही लोग अगर गलती से दूसरों की दूसरे विभाग की जमीन पर काबिज है तो लोग क्या सोचते होंगे, यह समझ जा सकता है। इसमें कोई शक नहीं के वर्तमान अधिकारी जनता को न्याय दिलाने और जीरो टॉलरेंस पर कार्य कर रहे हैं लेकिन हालत काफी आश्चर्जनक है।
जानकार बताते हैं कि RAC के लिए एलॉटेड जगह के बगल में करीब 40 साल पुराना हॉस्टल था जिसमें गरीब बच्चे पढ़ते थे जिसे बंद कर दिया गया है और तत्कालीन विधायक श्री बैरवा ने हस्तक्षेप करके इस प्रकरण में जीत हासिल की हालांकि स्थानीय लोगों और गरीब तबके के लोगों का हॉस्टल की जमीन को अन्य किसी प्रयोजन में लेने का विरोध था।
आमजन का मानना है कि देश को ऐसे बड़े अनियमित कार्यों में उच्च अधिकारियों को मालूम ना हो यह हो नहीं सकता हालांकि वर्तमान में गिरदावर की पोस्ट के अधिकारी सरमथुरा में तहसीलदार का कार्य कर रहे हैं तो समझा जा सकता है कि कम योग्यता के अधिकारी को उच्च कोटी की जिम्मेदारी दी जाती है तो गलती स्वाभाविक है किन-किन अधिकारी और कर्मचारियों की इस प्रकरण में लापरवाही रही है यह देखने का विषय है। हालांकि जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग 24 घंटे तैनात रहता है लेकिन अपनी आवंटित भूमि की रक्षा करने में असफल रहा है।
एक अन्य परिवार में डॉ मुकेश मीणा ने बताया है कि खसरा नंबर 1525 का मालिक वन विभाग है लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से प्लाटिंग की जा रही है उन्होंने इस प्रकरण में सम्मिलित कर्मचारियों पर उचित कानूनी कार्रवाई करने की और खसरा नंबर को अतिक्रमण मुक्त करने की विनती की है। बातचीत में डॉ मुकेश ने जिला कलेक्टर से कहा कि आप जिस जगह पर बैठे हैं वह जमीन भी दूसरे विभाग की है आपके विभाग की नहीं उन्होंने कहा कि तहसील के अधिकारी एयर कंडीशन ऑफिस मैं बैठी रहती हैं और फील्ड में जाकर सच्चाई का पता नहीं लगते हैं उन्होंने आगे कहा के ऐसे पचासों प्रकरण है जहां पर असल जगह से दूसरी जगह पर कंस्ट्रक्शन कर लिया है और प्रशासन चुप बैठा हुआ है।
इनका कहना है – अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जिला धौलपुर की के अध्यक्ष रामेश्वर दयाल का कहना है कि सर मथुरा अनियमितताओं भ्रष्टाचार और गैर कानूनी कार्यों का केंद्र बन गया है जहां पर जरा सा भी पता लगाओ, वहाँ अनियमितता मिलती है ऐसे अमृत काल में आमजन को कैसे न्याय मिलेगा।